लापरवाही करने में भी लापरवाही करने वाले: ध्यान दें- इसमें भी परफेक्शन की जरूरत है
व्यंग्य
मुझे याद है, बचपन में जब टीचर कहते थे, “लापरवाही मत करो,” तो लगता था कि ये भी कोई सलाह है? कौन होता है ऐसा जो लापरवाही करने में लापरवाही करे?
पर, जब सामना तो समझ आया कि इस देश में ऐसे कई कलाकार हैं, जो लापरवाही करने में भी मास्टर हैं। लापरवाही करना एक कला है, और उसमें महारथ हासिल करना… बस, यह तो हर किसी के बस की बात नहीं।
मसलन, एक सज्जन हैं, जिनका नाम हम प्रकाश रख देते हैं (वो खुद भी अपना नाम भूल जाते हैं)। प्रकाश जी को आप कोई भी काम दो, वे उसे एक विशेष अदायगी से टाल देंगे। उन्हें बस एक शब्द में महारथ हासिल है- “कल करेंगे।” और कल… वो तो एक माया है, जो कभी आता ही नहीं।
एक दिन, पड़ोस के शर्मा जी ने प्रकाश जी से कहा, “भाई, बिजली का बिल जमा करवा आओ, वरना कट जाएगी।” प्रकाश जी बोले, “अरे, कल कर देंगे।” और नतीजा? अगले ही दिन शर्मा जी के घर बिजली कट गई, और वो मोमबत्ती जलाकर प्रकाश जी को कोसते रहे।
लापरवाह लोग लापरवाही में भी इतने क्रिएटिव होते हैं कि आप दंग रह जाएंगे। जैसे एक बार मेरे दोस्त, जो हर बात में देरी करने में माहिर हैं, बोले, “अरे, आज ऑफिस जल्दी जाना है।”
मैंने सोचा, आज कुछ नया होगा। लेकिन जैसे ही घड़ी में 9 बजे, वो वापस बिस्तर पर धम्म से गिरे और बोले, “जल्दी जाना है, पर पहले आराम कर लेते हैं, नहीं तो जल्दी जाने का मजा क्या?”
और लापरवाही की चोटी पर बैठे हैं हमारे देश के वो लोग, जो ट्रैफिक सिग्नल को एक सजावट का सामान समझते हैं। लाल बत्ती जलते ही वे अपनी गाड़ी को एकदम फॉर्मूला-1 की स्पीड में दौड़ाते हैं।
जैसे बत्ती का रंग उनकी दौड़ का सिग्नल हो। पुलिसवाले उन्हें रोककर कहते हैं, “सिग्नल तोड़ दिया,” और वो एक मासूमियत से जवाब देते हैं, “अरे, देखा ही नहीं।”
असल में, लापरवाही करने में भी जो लोग लापरवाही करते हैं, वो खास होते हैं। उनका मंत्र होता है: “धीरे चलो, कुछ मत करो, और जो करना हो, उसे भी टाल दो।”
ऐसे लोग अपने जीवन के “सुपरहीरो” होते हैं- “लापरवाह-मानव,” जो हर काम में देरी करते हैं, लेकिन कभी-कभी उनकी यह लापरवाही भी हमें हंसने का मौका दे जाती है।
तो गुरु, अगर आप भी लापरवाही करने में लापरवाही कर रहे हैं, तो ध्यान दें- इसमें भी परफेक्शन की जरूरत है।